आज यहाँ निर्धन का भोजन, छीन रहा धनवान है
गीत-✍️उपमेंद्र सक्सेना एडवोकेट
आज यहाँ निर्धन का भोजन, छीन रहा धनवान है
हड़प रहा क्यों राशन उनका, यह कैसा इंसान है।
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हमने देखा नंगे भूखे, राशन कार्ड बिना रहते हैं
हाय व्यवस्था की कमजोरी, जिसको बेचारे सहते हैं
जिसने उनका मुँह खोला है, वह खुद उनका पेट भरेगा
अनुचित लाभ उठाने वालों, न्याय स्वयं भगवान करेगा
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जो सक्षम है आज किसलिए, करता वह अभिमान है
तरस नहीं आता है जिसको, मानो वह हैवान है।
आज यहाँ निर्धन का....
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खाता बिना मिले क्यों पैसा, सूनी उनकी रहे रसोई
वे केवल बदनाम हो गए, लाभ उठाता इससे कोई
हम दु;ख- दर्द समझ सकते हैं, उनको अपना कह सकते हैं
भोले- भाले नन्हे बच्चे, कब तक भूखे रह सकते हैं
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तन- मन- धन से लगा हुआ जो, गुपचुप देता दान है
भूखे को भोजन करवाता, समझो वही महान है।
आज यहाँ निर्धन का.....
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बनी योजनाएँ जितनी भी, उतने ही मिल गए बहाने
आयुष्मान कार्ड को भी क्यों,लगे लोग तिकड़म से पाने
कार्ड नहीं है जिस निर्धन पर, बीमारी में यों ही मरना
पैसा पास नहीं है तो फिर, उसे मौत से भी क्या डरना
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नहीं झोपड़ी भी नसीब में, छत केवल अरमान है
सत्ता चाहे कोई भी हो, दुरुपयोग आसान है।
आज यहाँ निर्धन का....
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रचनाकार -✍️उपमेन्द्र सक्सेना एडवोकेट
'कुमुद -निवास'
, बरेली- 243003 (उ. प्र.)
दैनिक 'आज', बरेली में प्रकाशित रचना
Renu
18-Jan-2023 09:37 AM
👍👍🌺
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डॉ. रामबली मिश्र
16-Jan-2023 07:47 PM
बहुत खूब
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